संक्रमण से ठीक होने वाली 55 साल की महिला ने कहा- एक पल के लिए लगा था कि बीमारी के कारण बेटे ने छोड़ दिया है, डॉक्टरों ने समझाया तो हिम्मत आई

(प्रणय चौहान) मध्यप्रदेश में कोरोना का सबसे ज्यादा संकट स्वच्छता में नंबर वन इंदौर में देखा जा रहा है। हर दिन यहां संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इस बीच अच्छी खबर यह है कि कुछ मरीज ठीक होकर अपने घर लौट भी रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है55 साल की सकीना की। उन्होंनेकोरोना के साथ डायबिटीज की लड़ाई भी लड़ी।

सकीना ने बताया, 'मैं पहले से ही डायबिटीज की पेशेंट हूं। हल्की सर्दी-खांसी हुई थी। कुछ दिन में बुखार और फिर निमोनिया हो गया। हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।डॉक्टर के कहने पर कोरोना की जांच कराई, तो रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। बेटे ने यह बात मुझे नहीं बताई। इस बात से बहुत धक्का लगा।'

सकीना ने कहा- परिवार में बेटा, बहू और दो छोटे बच्चे हैं। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मुझसे काेई मिलने नहीं आता था, इस बात ने डरा दिया था।

मुझसे कोई मिलने नहीं आता था, तो बुरा लगता था- सकीना

सकीना ने बताया कि हम बुरी तरह से डर गए थे। लग रहा था पता नहीं अब क्या होगा, क्योंकि कोरोना के बारे में बहुत कुछ सुना था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मेरे बेटे-बहू ने कुछ दिन तक तो बताया ही नहीं कि मुझे क्या हुआ है। मेरे परिवार में बेटा, बहू और दो बच्चे हैंपर मुझसे काेई मिलने नहीं आता था। उनकी बहुत याद आती थी। लग रहा था कि बीमार होने की वजह से उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया है।

मुझे भरोसा था कि मैं ठीक हो जाऊंगी: सकीना

उन्होंने कहा,'फिर मुझेडॉक्टर ने समझाया कि मुझे कोरोना हुआ है, इसलिए वे मिल नहीं सकते। जब जाकर आत्मविश्वास बढ़ा। शुगर के मरीज का इम्युनिटी सिस्टम 50% तक कम हो जाता है। लेकिन, मुझे भरोसा था कि मैं ठीक हो जाऊंगी। जब रिपोर्ट निगेटिव आई और जब पता चला कि अस्पताल से छुट्टी होने वाली है, तो मेरीखुशी का ठिकाना नहीं रहा।'



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तस्वीर में 54 साल की सावित्री सांवरे और उनके बेटे संजय हैं। मां टाटपट्‌टी बाखल के संक्रमित लोगों की स्क्रीनिंग में जुटी हैं। मां-बेटे दोनों का एक साथ मिलना नहीं हो पा रहा था। मंगलवार को बेटे को पता चला कि मां पैदल घर जा रही हैं तो वे उन्हें घर छोड़ने के लिए अफसरों से अनुमति लेकर पहुंच गए। एक-दूसरे को आमने-सामने पाकर दोनों भावुक हो गए।


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