बीते तीन दिनों से एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके का है और इसमें 15-20 लोग एक गली में मीटिंग करते हुए देखे जा रहे हैं। वीडियो बनाने वाला व्यक्ति इसमें बोल रहा है, ‘शास्त्री नगर में एक मीटिंग होने जा रही है। ये जो मोमेडियन आते हैं गलियों में, बिलकुल नहीं घुसने देंगे मुसलमानों को हम गली में। हम एक मीटिंग कर रहे हैं और आप लोगों से भी निवेदन है कि आप लोग भी अपनी गली-मोहल्ले के अंदर किसी भी मुसलमान को न घुसने दें। उनका आधार कार्ड चेक करो, उनका नाम पूछो, कोई भी मुसलमान है तो आप उनको भगाइए। गंदपना कर रहे हैं ये लोग। तो मेरी आपसे रिक्वेस्ट है कोई भी घुसने न दे इनको, मोमेडियन को।’
वीडियो बनाने वाला व्यक्ति जब ये बोल ही रहा है तो इस गली में दो सब्जी बेचने वाले पहुंचते हैं। इस पर वहां मौजूद लोग सब्जी वालों से पहचान पत्र मांगते हैं और कहते हैं, ‘कल से आधार कार्ड लेकर आना वरना आना मत इस तरफ। डंडे पड़ेंगे बहुत।’ ये कहने के साथ ही इन सब्ज़ी वालों को वहांसे दुत्कार कर भगा दिया जाता है और वीडियो में आगे कहा जाता है, ‘ये देख रहे हो भाई साहब। अभी एक को पकड़ा था, उसने अपना नाम बताया मिश्रा और था वो मोहम्मद इमरान। उसको भी मार कर भगाया अभी हमने।’
सोशल मीडिया पर आने के बाद से वीडियो हजारों लोग शेयर कर चुके हैं। ट्विटर से लेकर फेसबुक और व्हाट्सएप पर कई लोग इस वीडियो का यह कहते हुए समर्थन कर रहे हैं कि सभी लोगों को अपने-अपने मोहल्ले में ऐसा ही करना चाहिए तो दूसरी तरफ कई लोग इस वीडियो के जरिए दिए जा रहे सांप्रदायिक संदेश की भर्त्सना भी कर रहे हैं। दैनिक भास्कर ने इस वीडियो की पड़ताल की है।
वीडियो की सच्चाई जानने के लिए जब हम उत्तरी दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके पहुंचे तो शुरुआत में वहां के अधिकतर लोगों ने इस वीडियो को फर्जी बताया। हालांकि इस क्षेत्र के लगभग सभी लोग इस वीडियो को देख चुके थे। यहां प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने वाले आरके शर्मा कहते हैं, ‘हम सभी लोगों ने ये वीडियो देखा है। लेकिन ये शास्त्री नगर का नहीं है। हमारे इलाके में हिंदू-मुस्लिम भेदभाव जैसी कोई घटना कभी नहीं हुई। ये इस इलाके को बदनाम करने के लिए किसी ने शरारत की है।’
इसी इलाके में बीते 12 साल से सब्जी बेचने वाले रणवीर सिंह को जब भास्कर ने यह वीडियो दिखाया तो उनकाकहना था, ‘हां ये वीडियो यहीं बी-ब्लॉक का है।’ वीडियो में दिख रही बिल्डिंग को पहचानते हुए रणवीर सिंह ने बताया कि यह वीडियो ललिता विहार स्कूल के पास स्थित मोहल्ले में बनाया गया है।
रणवीर सिंह के बताए अनुसार जब हम ललिता विहार के पास पहुंचे तो वह बिल्डिंग नजर आई जो वीडियो में भी देखी जा सकती है। इसके साथ ही वीडियो की एक झलक में दिखता है कि एक घर के बाहर ‘रोटी बैंक’ लिखा हुआ है। यह घर भी हमें इस इलाके में नजर आया जिससे यह स्थापित हो गया कि वायरल हो रहा वीडियो इसी मोहल्ले में बनाया गया है। इस मोहल्ले का नाम ‘गुड लिविंग सोसाइटी’ है।
इस वीडियो में नजर आ रहे कई लोगों में से एक संजय कुमार जैन भी हैं जो यहीं रहते हैं। संजय कहते हैं, ‘काफी समय से ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं जिनमें दिख रहा है कि मुस्लिम लोग सब्जियों या फलों में थूक लगा कर बेच रहे हैं। इसीलिए मोहल्ले के लोगों ने तय किया कि यहां जो भी सब्जी बेचने आए उसकी पहचान देखी जाए और सिर्फ पुराने सब्जी वालों को ही आने दिया जाए।’
इस वीडियो में नजर आ रहे हैं एक अन्य व्यक्ति नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘ये वीडियो किसने बनाया और इसमें आवाज किसकी है वो हम नहीं बता सकते। लेकिन हां हम सब लोग इस वीडियो में दिख ही रहे हैं। उस दिन हम लोग रोज के तरह ही मीटिंग कर रहे थे तभी ये बात उठी कि मुस्लिम सब्जी वाले थूक कर सब्जियां बेच रहे हैं। आपने भी देखा होगा ऐसे कई वीडियो सामने आ चुके हैं। इसलिए हमने तय किया कि यहां किसी मुसलमान को नहीं आने देंगे। हालांकि बाद में ये तय हुआ कि अब यहां सिर्फ दो-तीन वही सब्जी वाले आएंगे जो सालों से आते रहे हैं और जिन्हें हम पहचानते हैं।’
शास्त्री नगर का यह इलाका सराय रोहिल्ला पुलिस थाने के अंतर्गत आता है। भास्कर ने जब यहां के थानाध्यक्ष लोकेंद्र सिंह से इस मामले पर बात की तो उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार किया। लेकिन इस क्षेत्र के एसीपी आरके राठी ने भास्कर को बताया, ‘यह मामला हमारे संज्ञान में आया है और इस सम्बंध में हमने एफआईआर भी दर्ज कर ली है। हम लोग इस मामले की जांच कर रहे हैं।’
यह पूछने पर कि सब्जी या फल बेचने वालों के साथ उनकी धार्मिक पहचान के चलते जो भेदभाव हो रहा है, उसे रोकने के लिए क्या पुलिस ने कोई कदम उठाए हैं? एसीपी राठी कहते हैं, ‘हम लोग जगह-जगह यह घोषणा करवा रहे हैं कि अगर कोई भी व्यक्ति इस तरह से सांप्रदायिक संदेश फैलाते या ऐसा कोई भेदभाव करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। हम इसका ध्यान रख रहे हैं कि किसी के साथ भी ऐसा भेदभाव न हो।’
एसीपी राठी यह आश्वासन तो देते हैं कि किसी भी फल-सब्जी वाले के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा लेकिन फल सब्जी बेचने वालों के अनुभव इसके ठीक उलट हैं। शास्त्री नगर और उसके आस-पास के इलाकों में घूम-घूम कर फल बेचने वाले मोहम्मद अनस कहते हैं, ‘पिछले तीन-चार दिनों से हमें किसी भी गली-मोहल्ले में लोग आने नहीं दे रहे। लोग हमसे पहचान पत्र मांगते हैं और हमारा नाम देखते ही भगा देते हैं। लोग गाली देते हुए कहते हैं कि तुम लोग थूक लगाकर फल बेचते हो, आगे से इस मोहल्ले में दिखाई दिए तो तुम्हारा ठेला पलट देंगे।’
लगभग ऐसा ही अनुभव मोहम्मद सलमान का भी है जो इस इलाके में अंगूर बेचा करते हैं। वो कहते हैं, ‘लगभग सभी मोहल्लों में कोई न कोई आकर हमसे पहचान दिखाने को बोल ही देता है। हम लोग अब डर के कारण मोहल्लों में जा ही नहीं रहे बाहर मेन रोड पर ही ठेला लगा रहे हैं। लेकिन यहां भी जो लोग रुकते हैं उनमें से कुछ पहले नाम पूछते हैं और नाम सुनते ही आगे बढ़ जाते हैं। अभी दो दिन पहले तो मेरे ठेले पर चार-पांच ग्राहक खड़े थे तभी एक आदमी एक्टिवा पर आया और मेरा नाम पूछने लगा। मैंने अपना नाम बताया तो वो ग्राहकों से कहने लगा कि आप इससे फल क्यों खरीद रहे हो ये लोग थूक कर फल बेचते हैं।’
सलमान आगे कहते हैं, ‘सर, हमें नहीं पता जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें वो मुस्लिम आदमी क्यों थूक लगाकर फल बेच रहा है। पता नहीं वो आदमी पागल है या क्या है। ये भी नहीं पता कि वो वीडियो सच्चा है या झूठा है। लेकिन उसकी क़ीमत हम लोग चुका रहे हैं। लोग हमें गालियां दे रहे हैं, मारने की धमकी दे रहे हैं। हमारी बिक्री आधे से कम रह गई है। हम लोग क्यों थूक लगाकर फल बेचेंगे सर? हमारी रोजी चलती है इन फलों से, ऐसा घटिया काम हम क्यों करेंगे और हमें क्या मिलेगा ऐसा करने से?’
सिर्फ सलमान और अनस ही नहीं, उत्तरी दिल्ली में फल-सब्ज़ी बेचने वाले तमाम लोग ये बताते हैं कि बीते कुछ दिनों से उन लोगों से उनके पहचान पत्र मांगे जाने लगे हैं। पहचान जांचने का काम पुलिस या कोई अधिकारी नहीं बल्कि गली-मोहल्ले के आम लोग कर रहे हैं। गाजीपुर के रहने वाले अशोक कुमार बीते एक दशक से भी ज्यादा से उत्तरी दिल्ली में सब्जी बेच रहे हैं। वो बताते हैं, ‘इतने सालों में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इन दिनों कोई भी आकर हमसे पहचान पत्र मांग लेता है इसलिए हम लोग आधार कार्ड साथ में ही रखने लगे हैं। हम लोगों का नाम देख कर तो लोग कुछ नहीं कहते लेकिन मुस्लिम सब्जी वालों को लोगों ने गली में आने से मना कर दिया है। लाल बाघ में मेरे आस-पास जो मुस्लिम लोग रहते हैं, उनके लिए इन दिनों काम करना बहुत मुश्किल हो गया है।’
28 साल के बृजेश कुमार कहते हैं, ‘पहचान पत्र तो सभी से मांगा जा रहा है। हिंदू-मुस्लिम सब इससे परेशान हो रहे हैं। लेकिन हमें पहचान देखने के बाद कोई कुछ नहीं कहता जबकि मुस्लिम लोगों को लोग भगा देते हैं। ये जमातियों का जो मामला हुआ है उसके बाद ऐसा ज्यादा होने लगा है। लोग मुसलमानों से सामान खरीदना नहीं चाह रहे।’
फल-सब्जी वालों से उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर भेदभाव का यह मामला सिर्फ शास्त्री नगर तक ही सीमित नहीं है। पिछले तीन-चार दिनों में गुलाबी बाग, त्रिनगर, अंधा मुगल और आदर्श नगर जैसे कई इलाकों में ऐसी घटनाएं हुई हैं जब वहां फल-सब्जी बेचने वालों की मुस्लिम पहचान देखने के बाद उनके साथ बदसलूकी की गई और उन्हें इन इलाकों में दोबारा न आने की धमकी दी गई। 32 वर्षीय शिव सिंह कहते हैं, ‘गुलाबी बागमें तो मेरे सामने मोहल्ले में लाउड स्पीकर से यह घोषणा हुई कि अब से किसी भी मुस्लिम को यहां सब्जी-फल बेचने के लिए नहीं आने दिया जाएगा।’
मुस्लिम फल-सब्जी विक्रेताओं के साथ हो रहे इस भेदभाव के पीछे का मुख्य कारण भी एक वीडियो ही है। इस वीडियो में दिख रहा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपने अंगूठों पर बार-बार थूक लगाकर फल रख रहा है।दैनिक भास्कर ने जब इस वीडियो की पड़ताल की थी तोपता चला था कि यह वीडियो मध्य प्रदेश के रायसेन का है और इसमें दिखाई दे रहेशख्स का नाम शेरू मियां हैं। जगह और नाम सामने आने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने 3 अप्रैल को शेरू मियां के खिलाफ धारा 269 और 270 के तहत एफआईआर दर्ज की। ये दोनों धाराएं किसी बीमारी को फैलाने के आरोप में लगाई जाती है। हालांकि भास्कर की पड़ताल में यह भी पता चला था कि यह वीडियो करीब 2 महीने से ज्यादा पुराना है, जैसा कि वीडियो में देखा भी जा सकता है कि शख्स ने ठंड के दिनों में जैकेट डाल रखा है।
भास्कर ने जब शेरू खान की बेटी से इस बारे में बात की थी तो उनका कहना थाकि उनके पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि इसके बावजूदयह कहते हुए इस वीडियो को वायरल किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग कोरोना संक्रमण को फैलाने के लिए फल-सब्जियों में थूक कर बेच रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि उस वायरल वीडियो और उससे जुड़ी अफवाहों का खामियाजा अब देश भर के न जाने कितने मुस्लिम फल-सब्जी विक्रेताओं को बेवजह भुगतना पड़ रहा है। दिल्ली के इन तमाम विक्रेताओं के अलावा गुरुग्राम, उत्तराखंड, झारखंड और देश के कुछ अन्य हिस्सों से भी ऐसी खबरें सामने आई हैं, जहां मुस्लिम समुदाय के फल-सब्जी विक्रेताओं के साथ बदसलूकी या मारपीट की गई है।
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