दुनियाभर में लॉकडाउन के दौरान जानवरों के नए रूप देखने को मिले हैं। लेकिन, ब्रिटेनवासीकोरोना के साथ-साथबड़े चूहों से बेहद परेशान और खौफ में हैं। 18 इंच तक लम्बे इन चूहों को जाइंट रेट कहा जाता है और लॉकडाउन के दौरान इन्होंने अपने व्यवहार को आक्रामक बनाकरसंख्या और पहुंच दोनों ही खूब बढ़ा ली है।
बीते दो महीनों से ये सीवर-अंडरग्राउंड नालियों से निकल कर रहवासी इलाकों में घुस रहे हैं। बंद शहरों से दूर ये उपनगरीय कस्बों की ओर बढ़ रहे हैं। पता चला है कि ये इतने भूखे हैं कि अब एक-दूसरे को खाने लगे हैं।इन पर रेट पॉयजन का भी असर नहीं हो रहा है। बड़े और ताकतवर चूहे छोटे और कमजोर को मार रहे हैं। जहर के प्रति इन्होंने एकइम्यूनिटी हासिल कर ली है।
भारत में भी मप्र, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों से चूहों के आतंक और करोड़ो के माल कीनुकसानकी खबरें मिली है, हालांकि हमारे यहां के चूहे ब्रिटेन के चूहेजितने बड़ेनहीं है।
ब्रिटेनवासी सोशल मीडिया पर मरे चूहों के फोटो उनकी साइज के साथ डाल रहे हैं, जिसमें मुंह से लेकर पूंछ तक इनकी लम्बाई करीब 18 से 20इंच तक देखी गई है। रेस्तरां, कैफे और अन्य फूड ऑउटलेट्सके लंबे समय तक बंद रहने से ये भूखे हैं और गुस्सैल हो गए हैं।
ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया के अन्य देश भी लॉकडाउन के दौरान चूहों के आतंक का सामना कर रहे हैं।अमेरिका में, सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने चूहों के आक्रामक हो रहे व्यवहार के बारे में लोगों को सचेत किया है। सेंटर के वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहे अब खाने के नए रिसोर्स ढूंढ़ने में लगे हैं और लॉकडाउन में उन्हें सफलता भी मिली है।
ब्रिटिश पेस्ट कंट्रोल एसोसिएशन के एक सर्वे से पता चला है कि ब्रिटेन में बड़े चूहों के उपद्रव की घटनाओं में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। द सन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में चूहे पकड़ने वालों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि उनका काम बढ़ गया है।एसोसिएशन की टेक्निकल ऑफिसर नताली बुंगे के मुताबिक: "हमारे पास अब तक ये रिपोर्ट आती थी कि चूहे खाली इमारतों में ठिकाने बना रहे हैं लेकिन,अब ऐसा लगता है कि उनके रहवास का पैटर्न भी बदल रहा है और वे हमारे घरों के आसपास बेखौफ नजर आ रहे हैं।
मैनचेस्टर के रैट कैचर मार्टिन किर्कब्राइड ने टेलीग्राफ को बताया कि, ब्रिटेन में चूहेइतनेबढ़ गए हैं जितनेकि 200 साल पहले की औद्योगिक क्रांति के दौरान भी नहीं थे। वे ज्यादातर सीवर लाइनों में छुपे रहते थेऔर अब लॉकडाउन के सन्नाटे में बाहर निकल रहे हैं।उन्होंने कहा: वे हमारे साथ रहते हैं और हमारी वजह से ही यहां हैं। जितने ज्यादा लोग होंगे, चूहों के को उतना ही ज्यादा खाना मिलेगा। पर, अब ऐसा नहीं हो रहा। अपने कुत्ते के साथ चूहे मारने वाले एक अन्य रैट कैचर मैट का कहना है कि चूहों को मारने में जहर उतना कारगर नहीं रहा।
वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से ही यहां के उपनगरों में बड़े चूहों की आबादी में बढ़ोतरी देखी है।ग्रीनविच में नैचुरल रिसोर्स इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर स्टीवन बेलमैन ने कहा कि इधर-उधर भागे चूहों में से कुछ वापस शहरों में चले जाएंगे, जबकि कई अन्य उपनगरों में अपने नए ठिकानों को बनाए रखेंगे।उनके मुताबिक: देखने में आ रहा है कि, वे खाने की तलाश करने रहवासी बस्तियों में जा रहे हैं और, इसलिए अब उन्होंने वहीं अपने ठिकाने बनाने का फैसला कर लिया है।
चूहों की ओर से शुरू की गई इस टर्फ वॉर (इलाके की लड़ाई) के बारे में अर्बन रोडेन्टोलॉजिस्ट बॉबी कोरिगन कहते हैं कि: 'यह वैसा ही है जैसा हमने मानव जाति के इतिहास में देखा है, जिसमें लोग जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं। वे पूरी सेना के साथ धावा बोलते हैं और जमीन हथियाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ते हैं। और, चूहे भी अब ऐसा ही कर रहे हैं।
कुतरने वाले जीवों पर पीएचडी करने वाले बॉबी कोरिगन कहते हैं: 'चूहों की एक नई' सेना आती है, और जिस भी सेना के पास सबसे ताकतवर चूहे होते हैं, तो वह उस इलाके को जीत लेता है।' चूहों की आबादी तेजी से बढ़ती है, क्योंकि बच्चों को जन्म देने के तुरंत बाद चूहिया में फिर से गर्भधारण करने की क्षमता होती है। इस तरह वे 365 दिन में करीब 8 बार गर्भवती होकर एक बार में 7 या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं।
दिलचस्प बात यह है कि चीनी कैलेंडर के हिसाब से कोरोनावायरस की भेंट चढ़ा साल 2020 चूहों का साल माना गया है। हर 12 साल में एक बार आने वाला चूहों का ये साल 25 जनवरी से शुरू होकर 21 फरवरी 2021 तक चलेगा। हालांकि चीन में जनवरी से ही कोरोना संक्रमण तेजी से फैला और नव वर्ष का जश्न खराब हो गया था। अब चीन तो कोरोना से लगभग उबर गया है, लेकिन बाकी दुनिया वायरस के साथ-साथ चूहों से भी परेशान है।
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