गल्वस-मास्क पहनकर टीम घर से पेट्स को ले जाती है, उसे मेडिकल बाथ दिया जाता है, तभी होस्टल में मिलती है एंट्री

हैदराबाद में एक ग्रुप ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों के पालतू जानवरों के लिए सर्विस शुरू की है।कोई कोरोना का शिकार हो जाता है और उसे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता है या फिर होम आइसोलेशन में रहना पड़ता है। अब ऐसे व्यक्ति को कुत्ते या बिल्ली की फ्रिक करने की जरूरत नहीं। टीम आएगी और आपके पेट्स को घर से ले जाएगी। जब तक आप चाहेंगे, तब तक आपके पेट्स की केयर की जाएगी। इसके लिए हर दिन की फीस 500 रुपए होगी। उनके यहां कुत्तों के अलावा बिल्लियों को भी रखने की फैसिलिटी है।

पेट्स को लाते समय टीम मेंबर्स ग्ल्वस, मास्क पहने होते हैं

पेट्स सर्विस शुरू करने वाले पन्नीरू ने बताया कि पेट्स की केयर हम पिछले 13 सालों से कर रहे हैं। कोरोना के बाद यह यह नया आइडिया दिमाग में आया।

इस सर्विस को शुरू करने वाले पन्नीरू पृथ्वी के मुताबिक,अभी तक हम तीन कोरोना पॉजिटिव पेशेंट्स के घर से पेट्स ला चुके हैं। पेट्स कोरोना पॉजिटिव के घर से लाए जाते हैं इसलिए उन्हें पूरे प्रिकॉशन के साथ रखा जाता है। पेट्स को लाते समय टीम मेंबर्स ग्ल्वस, मास्क पहने होते हैं। पेट्स के गले में यदि पट्टा, चैन है तो उसे निकाल दिया जाता है।

हम जानते हैं कि पेट्स से कोरोनावायरस नहीं होता इसलिए हमें उनकी केयर करने में डर नहीं लगता और कोई रिस्क भी नहीं होता। इसके बावजूद हम लोग पूरी सावधानी रखते हैं। सबसे पहले मेडिकल बाथ दी जाती है। इसके बाद ही हॉस्टल में एंट्री दी जाती है। हॉस्टल में आने के बाद हर पंद्रह-पंद्रह दिन में मेडिकल बाथ दी जाती है।

जिन तीन परिवारों के पेट्स अभी तक लाए गए हैं, उनमें एक घर में बुजुर्ग महिला को कोरोनावायरस हुआ था। इसके बाद घरवाले होम आइसोलेशन में चले गए और उन्होंने डॉगी को एजेंसी को सौंप दिया। एक दूसरे परिवार में पिता को कोरोनावायरस हो गया था तो मां और बेटी उनसे दूर हो गए और उन्होंने पेट को एजेंसी के पास पहुंचा दिया। ओनर्स पंद्रह दिनों तक के लिए अपने पेट्स को हॉस्टल में रख रहे हैं।

ये हॉस्टल है, जहां पेट्स को रखा जाता है। पेट्स की केयर के लिए बाकायदा स्टाफ रखा गया है।

पन्नीरू कहते हैं-हम पिछले 13 सालों से पेट्स केयर सेंटर चला रहे हैं। कोरोनावायरस के टाइम में पता चला कि बहुत से लोग डर के चलते अपने पालतू जानवरों को सड़कों पर छोड़ रहे हैं इसलिए हमनें यह सुविधा शुरू की है। हम बाकायदा एक फॉर्म फिल करवाते हैं। जरूरी डॉक्यूमेंट्स लेते हैं। फिर हॉस्टल में पेट्स को रखा जाता है।

कोरोनावायरस के डर से दिल्ली मुंबई में पेट्स को वैक्सीन

दिल्ली-मुंबई में लोग पेट्स को कोरोना के लिए वैक्सीन लगवा रहे हैं। यह कोविड-19 की वैक्सीन नहीं है। दिल्ली के मधु विहार के एक डॉग केयर सेंटर के डॉक्टर हसन ने बताया कि साल में एक बार वैक्सीन दी जाती है। जिसका चार्ज 600 रुपए लगता है। यह कोविड-19 वाली नहीं है। सालों से लोग यह वैक्सीन पेट्स को लगवाते आ रहे हैं।

इस डॉगी को हॉस्टल में ले जाया गया। जहां दो हफ्तोंं तक पूरी केयर के साथ रखा गया।

संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर की अंबिका शुक्ला कहती हैं-जो वैक्सीन जानवरों को लगाई जा रही है, वो वायरस भारत में चार-पांच साल पहले ही खत्म हो चुका है।कोविड-19 जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता। यह बात डब्ल्यूएचओ से लेकर एम्स डायरेक्टर तक कह चुके हैं। लोग अब होम क्वारैंटाइन होते हैं तो आसानी से अपने पेट्स की केयर घर पर ही कर सकते हैं।

पहले हमारे सेंटर पर कुछ लोगों ने अपने पेट्स को रखने के लिए मदद मांगी थी, लेकिन जब से होम क्वारैंटाइन किया जाने लगा है, तब से लोग खुद ही अपने पेट्स की देखरेख कर रहे हैं।

अभी तक सिर्फ दो डॉग, एक कैट और टाइगर में ही कोरोनावायरस मिला

अप्रैल में यूएस की ब्रोंक्स जू में एक चार साल की मादा टाइगर कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। हालांकि वेटरिनेरियन अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं जुटा सके हैं, जिससे यह साबित होता हो कि कोरोनावायरस ह्यूमन से एनमिल में ट्रांसमिट हो रहा है।

‘हेल्दी डॉग, हैप्पी यू' बुक के राइटर और बेल्जियम में सेवाएं देने वाले भारत के वेटरिनेरियन जूलियट डेकास्टेकर कहते हैं किकोरोनावायरस के मामले 10 लाख से भी अधिक हो चुके हैं, लेकिन सिर्फ दो डॉग, एक कैट और एक टाइगर में ही कोरोनावायरस पाया गया है। यह सब भी इंफेक्शन से ठीक हो चुके हैं। इन मामलों में हुई टेस्टिंग से सिर्फ यह पता चलता है कि वायरस का मटेरियल मौजूद था। लेकिन यह जरूरी नहीं कि जानवर से इंफेक्शन आगे ट्रांसमिट होगा ही। इसके लिए एंडीबॉडी टेस्टिंग करना चाहिए।

अभी यह सुविधा सिर्फ हैदराबाद में दी जा रही है। फोन करके कोई भी सुविधा का लाभ ले सकता है।

एनिमल के साथ रहते हैं तो सावधानी बरतें

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, डॉग, कैट या दूसरे जानवरों के चलते कोरोनावायरस फैलने का अभी तक कोई सबूत नहीं है। यह संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स के जरिए ही फैलता है। हालांकि सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की सलाह है कि जिन घरों में लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैं, उन्हें पालतू जानवरों से दूरी बनाकर रखना चाहिए।

जिन्हें कोरोनवायरस नहीं है, उन्हें भी एनमिल के साथ रहते वक्त पूरी सावधानी रखनी चाहिए। जैसे एनिमल के पास जाने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। जब आप बीमार हो तों पेट्स से दूर रहें। सामान्य तौर पर भी दूरी बनाकर रखें। पेट्स को खाना देते समय चेहरे को हाथों को कवर करना न भूलें। जो जानवर कोरोना से संक्रमित पाए गए, वो कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति से कहीं न कहीं कॉन्टेक्ट में आए हैं। अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक जानवरों से कोविड-19 फैलने की आशंका बहुत कम है।

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The team wearing galves and masks come home to take the petes, then are given a medical bath, only then they enter the hostel


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