नमी से हो सकती हैं सांस की परेशानी, घर के अंदर ताजी हवा का सर्कुलेशन बढ़ाएं; 6 तरीकों से पाएं सीलन से निजात

बारिश का मौसम जितना मन को सुकून देता है, उतना ही यह घर के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला भी होता है। इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे घर की दीवारें होती हैं। कुछ ही समय पहले सुंदर नजर आने वाली घर की दीवारों पर लगातार बारिश के बाद लीकेज, क्रैक्स, फंगस नजर आने लगती है। अब सवाल यह उठता है कि हम बारिश को तो नहीं रोक सकते, लेकिन घर को बचाने के कुछ उपाय जरूर कर सकते हैं।

दिक्कत घर की बुनियाद में है
भोपाल में सिविल इंजीनियर मयंक श्रीमाली के मुताबिक, अगर हम नमी का शिकार हो चुकी दीवारों का इलाज नहीं करते हैं, तो इससे घर की लाइफ कम हो सकती है। मयंक ने कहा "मेरे हिसाब से बारिश के बाद जमीन में पानी का स्तर बढ़ जाता है और नमी फाउंडेशन के जरिए ऊपर तक आती है। खासतौर से खाली इलाकों के आसपास।" उन्होंने कहा "मेरे अनुभव में अभी तक देखा है कि पानी 90 प्रतिशत मामलों में नीचे से ही आता है।"

घर बनाने से पहले ही रखें सावधानी
भोपाल स्थित डिजाइन होम के आर्किटेक्ट सुनील मनोचा का कहना है कि घर की दीवारों में नमी आने के तीन कारण हो सकते हैं। छत पर वॉटर प्रूफिंग नहीं कराना, घर बनाने के दौरान प्लास्टर से पहले जॉइंट्स में दरारों का रह जाना और तय मानकों पर प्लास्टर नहीं लगाया जाना। उन्होंने बताया कि प्लास्टर 1/4 अनुपात में होना चाहिए और 19-20 एमएम मोटा होना चाहिए। जबकि अधिकांश ठेकेदार ऐसा नहीं करते हैं।

इन उपायों की मदद से दीवारों पर आई नमी से निजात पा सकते हैं

  • नमी का कारण जानें: दीवारों पर नमी के धब्बे इस बात का संकेत होते हैं कि कहीं से पानी आ रहा है। देखें कहीं पेंट फूल तो नहीं रहा है। इसके बाद यह जानने की कोशिश करें कि पानी कहां से आ सकता है। हो सकता है कि इसका कारण टूटा हुआ पाइप या टूटा हुआ टाइल हो। ऐसे में रिपेयरिंग की तैयारी करें।
  • क्रॉस वेंटिलेशन: घर में दरवाजे और खिड़कियों को खोलकर ताजी हवा को अंदर आने का मौका दें। घर के अंदर की नम हवा को बाहर निकालने का सबसे अच्छा तरीका क्रॉस वेंटिलेशन हो सकता है। याद रखें कि हवा घर में आसानी से सर्कुलेट होती रहे। फर्नीचर को दीवार से सटाकर रखने से बचें और थोड़ी हवा के गुजरने की जगह रखें।
  • बाहरी दीवारों पर वॉटर प्रूफ पेंट्स: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घर के बाहर की दीवारों पर अच्छे ब्रांड का वॉटर प्रूफ पेंट का इस्तेमाल करें। आर्किटेक्ट मनोचा ने बताया कि इस पेंट के कम से कम दो कोट या कंपनी के निर्देश के हिसाब से लगाएं। कवरेज एरिया बढ़ाने के लिए ज्यादा पानी न मिलाएं। इससे पेंट की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
  • जॉइंट्स की जांच करें: अगर आपके घर की दीवारों के जॉइंट्स में क्रैक बन गए हैं, तो उनकी जांच करें। पेंट करने से पहले अच्छी क्वालिटी के फिलर से उन्हें भरवाएं। इसके अलावा घर बनवाने के दौरान कई बार ईंट और कॉलम के बीच में क्रैक आ जाते हैं। इसे भरने के लिए एक्सपर्ट्स मैश या वैल्वेट मैश के इस्तेमाल की सलाह देते हैं।
  • डीह्युमिडिफायर: नमी और फफूंद का कारण बनने वाली हवा को यह मशीन खींच कर बाहर कर देगी। अलग-अलग कमरों के लिए आप पोर्टेबल या छोटे डीह्युमिडिफायर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
  • घर के आसपास कॉन्क्रीट: मयंक घर के आसपास जमीन पर एक से डेढ़ मीटर कॉन्क्रीट करने की सलाह देते हैं। इससे बारिश का पानी आपकी फाउंडेशन तक नहीं जाता है। इसके अलावा घर बनाते समय बोल्डर्स और फ्लाय ऐश ईंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि मिट्टी की ईंट पानी खींचती है।

स्वास्थ्य के लिए भी है खतरनाक
दीवारों में सीलन होने के कारण कई बार फफूंद और बैक्टीरिया भी तैयार हो जाते हैं। इससे कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ज्यादा नमी और फफूंद (मोल्ड) काफी खतरनाक हो सकते हैं। ऐसे घरों में रहने वाले लोगों को सांस से जुड़ी परेशानियां, रेस्पिरेटरी संक्रमण, अस्थमा जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

रिसर्च बताती है कि नमी वाले घरों में रहने वाले लोगों की तुलना में हवादार घरों में रहने वाले लोग की सांस संबंधी परेशानी के कारण डॉक्टर के पास जाने या भर्ती होने की संभावना कम होती है।



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