बिहार में चुनाव है। वादों की बहार है। लेकिन, सबसे बड़ा वादा नौकरी का है। तेजस्वी यादव 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा करते हैं, वो भी परमानेंट। तो सीएम नीतीश कुमार तंज कसते हैं- ‘पैसवा कहां से आएगा? ऊपर से आएगा? कि नकली नोट मिलेगा। या जेलवे से आएगा?’ लेकिन, उनकी ही सहयोगी भाजपा 19 लाख रोजगार का वादा कर रही है। इसमें चार लाख नौकरियों का भी वादा शामिल है। वहीं, नीतीश की पार्टी जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक कहते हैं कि बिहार में 1.74 लाख पद ही खाली हैं। उनका तंज तो तेजस्वी पर ही था। लेकिन, उनकी बात भाजपा के वादे को भी काट रही थी।
बिहार में वाकई कितने पद खाली हैं? कितनों पर रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू हो गई है? बेरोजगारी दर कितनी है? इसे समझने की कोशिश करते हैं। लेकिन, उससे पहले ये समझना भी जरूरी है कि आखिर रोजगार के ऐसे वादे क्यों किए जा रहे हैं। तो इसका कारण है वो 23% वोटर, जिनकी उम्र 30 साल से कम है। चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार में 7.29 करोड़ वोटर हैं, जिसमें से 1.67 करोड़ वोटर 30 साल से कम उम्र के हैं। मतलब अगर ये वोटर एक तरफ चलें जाएं तो किसी की भी सरकार बना सकते हैं।
भाजपा बोल रही 3.5 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई, तब भी सबसे ज्यादा पद इनके ही खाली
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि एनडीए सरकार ने बिहार में 3.5 लाख शिक्षकों की नियुक्तियां की हैं। लेकिन, सच तो ये है कि बिहार में शिक्षकों के 2.75 लाख से ज्यादा पद अब भी खाली पड़े हैं और इस मामले में बिहार पहले नंबर पर है। ये हम नहीं कह रहे। ये खुद उनकी सरकार ने लोकसभा में बताया है। एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने 19 सितंबर को लोकसभा में बताया था कि देशभर में शिक्षकों के 10.61 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, जिसमें से 2.75 लाख पद अकेले बिहार में खाली हैं।
पद खाली क्योंकि किसी को नियुक्ति का इंतजार, किसी को रिजल्ट का
बिहार में शिक्षकों के इतने खाली पद होने के पीछे भी सरकार ही है। कई हजारों लोग हैं जो या तो नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं या रिजल्ट का या फिर परीक्षा का।
- 2017 में टीईटी परीक्षा हुई। 94 हजार लोगों ने परीक्षा दी, लेकिन अभी तक नियुक्तियां ही नहीं हुईं।
- अगस्त 2019 में एसटीईटी परीक्षा हुई, जिसमें 37 हजार 500 लोग शामिल हुए। इनका रिजल्ट ही नहीं आया।
- जनवरी 2020 में 33 हजार सीटों पर शिक्षकों के लिए विज्ञापन निकला, लेकिन आजतक इस बारे में कोई जानकारी शिक्षा विभाग के पास ही नहीं है।
बिहार में पब्लिक-पुलिस का रेशो सबसे कम, फिर भी 50 हजार पद खाली
केंद्र सरकार की एक एजेंसी है ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी)। ये पुलिस का डेटा रखती है। इसके पास पब्लिक-पुलिस रेशो का सबसे ताजा डेटा 2018 तक का है। इस डेटा के मुताबिक, देश में हर एक लाख आबादी पर 199 पुलिसवाले हैं। ये तो रहा देश का डेटा, जबकि राज्यों का डेटा अलग-अलग है।
बीपीआरडी के मुताबिक, बिहार में हर एक लाख आबादी पर 131.6 पुलिसवाले हैं। ये रेशो देश में सबसे कम है। जबकि, उससे अलग होकर बने झारखंड में हालात इससे कहीं ज्यादा बेहतर है। वहां हर एक लाख पर 221 पुलिसवाले हैं। ऐसी हालत होने के बाद भी बिहार में पुलिस के 50 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
बिहार में बेरोजगारी दर देश के मुकाबले दोगुनी
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के मुताबिक, 2018-19 में देश में बेरोजगारी दर 5.8% थी। जबकि, बिहार में 10.2% थी। ये आंकड़ा कोरोनावायरस के पहले का है। रोजगार पर कोरोना का कितना असर हुआ, इसका सरकारी आंकड़ा तो नहीं है। लेकिन, प्राइवेट एजेंसियों के जिस तरह के अनुमान आ रहे हैं उससे आशंका है कि ये आंकड़ा इससे काफी बड़ा हो सकता है।
बेरोजगारी दर इतनी ज्यादा होने के पीछे भी सरकार ही है। अब देखिए 2014 में 13 हजार 120 पदों के लिए एसएससी यानी स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू की। ये वो पद थे, जिनके लिए 12वीं पास भी परीक्षा दे सकते थे। इसकी परीक्षा हुई 2018 में, रिजल्ट आया 2020 में। अब लोग मुख्य परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बिहार में अभी भी जूनियर इंजीनियर के 66% से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
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