माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से मिलेगी कठोर तप से सफलता पाने की शक्ति

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्तों की तप करने की शक्ति बढ़ती है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा।

स्वरूप

माता अपने इस स्वरूप में बिना किसी वाहन के नजर आती हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है।

महत्त्व

माता ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योग-शास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।

नवरात्रि के दूसरे दिन श्रद्धालु माता ब्रह्मचारिणी से जीवन में कठोर तप या यों कहें कि कड़े संघर्ष की शिक्षा लेते हैं। ऐसा ही कठोर तप करने वाली दो महिलाएं हैं, कार्तियानी अम्मा और भागीरथी अम्मा। 98 बरस की कार्तियानी अम्मा और 107 बरस की भागीरथी अम्मा देश की उन करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो परिवार के लिए जिम्मेदारी निभाते-निभाते अपनी इच्छाओं को मारकर हार मान लेती हैं।

केरल की इन दोनों अम्माओं ने बेहद कठिन हालातों में न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा किया, बल्कि जीवन के क्रमशः 9 और 10 दशक पूरे करने के बाद दोबारा पढ़ाई शुरू की और उसमें भी झंडे गाड़ दिए।केरल के अलापुझा जिले के हरिपद की रहने वाली कार्तियानी अम्मा ने 2018 में राज्य के लिट्रेसी मिशन अथॉरिटी (केएसएलएमए) की परीक्षा में टॉप किया। तब वे 96 बरस की थीं। उन्होंने कुल 100 में 98 नंबर हासिल किए।

अक्षरालक्षम नाम की यह परीक्षा कक्षा 4 के बराबर मानी जाती है। इसमें कुल 43,330 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, उनमें से 42,933 ने पास किया था। इसमें तीन मुख्य विषय थे। पढ़ना, लिखना और गणित। कार्तियानी अम्मा ने लिखने में 40 में 38 और बाकी दोनों विषयों यानी पढ़ना और गणित में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए।

परीक्षा देने के बाद कार्तियानी अम्मा ने कहा था, "बिना मतलब मैंने इतनी ज्यादा पढ़ाई की। टेस्ट मेरे लिए बहुत आसान थे।" 1922 में जन्मी कार्तियानी अम्मा की बेहद कम उम्र में शादी हो गई। इसलिए स्कूल जाना बंद हो गया। जल्द ही वे छह बच्चों की मां बन गईं। कम उम्र में ही पति का निधन हो गया। बच्चों को पालने के लिए उन्होंने लोगों के घरों पर काम करने के साथ सफाई कर्मचारी का भी काम किया।

कार्तियानी अम्मा की शादी बेहद कम उम्र में हो गई इसलिए स्कूल जाना बंद हो गया था।

स्कूल जाना चाहती थीं, बेटी को देखकर सूझा रास्ता

जीवन के इस पड़ाव में जब कार्तियानी अम्मा अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभा चुकी थी तो उनके मन में पढ़ने की इच्छा जागने लगी। दरअसल, उनकी बड़ी बेटी ने भी केरल सरकार के इस योजना के तहत ही पढ़ाई की थी। बस यहीं से उन्हें रास्ता सूझा और उन्होंने पढ़ना शुरू कर दिया।

पूरी तरह शाकाहारी, कभी नहीं गईं अस्पताल

कार्तियानी अम्मा पूरी तरह शाकाहारी हैं। वह रोज सुबह 4 बजे जाग जाती हैं। अपने सभी काम खुद ही करती हैं। उनका कहना है कि एक बार आंखों की सर्जरी को छोड़ दें तो वे पूरी जीवन में कभी अस्पताल नहीं गईं।

रुकी नहीं, लक्ष्य तय- 100 की उम्र में पास करेंगी 10वीं

कार्तियानी अम्मा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने पढ़ाई में आगे के लक्ष्य भी तय कर लिए हैं। केरल की अक्षरालक्षम योजना में चौथी कक्षा के बराबर परीक्षा पास करने के बाद, सातवीं के बराबर मानी जाने वाली परीक्षा दी जाती हैं और इसके बाद दसवीं के बराबर मानी जाने वाली अंतिम परीक्षा। कार्तियानी अम्मा ने 100 वर्ष की उम्र में दसवीं के बराबर यही परीक्षा पास करने को ही लक्ष्य बनाया है।

9 साल की उम्र में छूटी पढ़ाई तो भागीरथी अम्मा ने 104 की उम्र में दोबारा की शुरू

भागीरथी अम्मा को 9 साल की उम्र में पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी।

भागीरथी अम्मा केरल के कोल्लम में रहने वाली हैं। उन्हें बचपन से ही पढ़ने की ललक थी, लेकिन यह सपना उन्होंने 104 साल की उम्र में पूरा करना शुरू किया और 105 साल की उम्र में पहला बड़ा पड़ाव हासिल कर लिया, और वह बन गईं सबसे ज्यादा उम्र में केरल लिट्रेसी मिशन की परीक्षा पास करने वाली शख्सियत।

अम्मा को लिखने में दिक्कत होती है इसलिए उन्होंने पर्यावरण, गणित और मलयालम के तीन प्रश्न पत्रों का हल तीन दिन में लिखा था। इसमें उनकी छोटी बेटी ने मदद की थी। उनका कहना है कि वह हमेशा ही पढ़ना चाहती थीं, लेकिन बचपन में ही मां की मौत के बाद भाई-बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी। भागीरथी अम्मा 9 साल की उम्र में तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं, जब उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।

इसके बाद तो जिम्मेदारियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा। महज 30 साल की उम्र में उनके पति की मौत हो गई थी। जिसके बाद छह बच्चों की पूरी जिम्मेदारी आ गई। उम्र गुजरती गई। इस दौरान पढ़ाई का उनका सपना पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन अम्मा उसे भूली नहीं।

जब 105 वर्ष की उम्र में उन्हें पढ़ने का मौका मिला तो वे पीछे नहीं हटीं। उन्होंने कोल्लम स्थित अपने घर में चौथी कक्षा के बराबर मानी जाने वाली परीक्षा दी और एक मिसाल बन गईं। ऐसी मिसाल कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान कहा कि अपने अंदर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना चाहिए। 105 साल की भागीरथी अम्मा हमें यही प्रेरणा देती हैं। इसलिए उन्हें कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग गुडविल एंबेसडर के तौर पर चुना गया है।

बेहद तेज है याददाश्त, गाना भी खूब गाती हैं अम्मा

केरल लिट्रेसी मिशन के एक्सपर्ट वसंत कुमार का कहना है कि इस उम्र में भी अम्मा की याददाश्त बेहद अच्छी है। उन्हें पढऩे में कोई दिक्कत नहीं। उन्हें 74.5 प्रतिशत अंक मिले। उनके 16 नाती-पोते और 12 पड़ पोते-पोतियां हैं। अम्मा अभी भी बहुत अच्छा गाती हैं।

आधार कार्ड बना, पेंशन मिली और आगे की पढ़ाई शुरू

भागीरथी अम्मा का आधार कार्ड नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मन की बात में उनका जिक्र किया, तो यह बात सामने आई कि उनका आधार कार्ड ही नहीं। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उनके घर जाकर सभी औपचारिकताएं पूरी कर उनका आधार बना दिया। अब उन्हें हर महीने 1500 रुपए की वृद्धावस्था पेंशन भी मिलती है।

इधर, भागीरथी अम्मा ने मार्च में सातवीं के बराबर माने जाने वाले लिट्रेसी मिशन के अगले कोर्स में एडमिशन ले लिया है। उनका कहना है कि वे 10 वीं के बराबर वाली अगली परीक्षा भी पास करना चाहती हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Maa Brahmacharini Navratri 2020 Day 2 Devi Puja Significance and | Interesting Facts On Kerala's Bhageerathi Amma, Karthiyani Amma


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kdvgti

Post a Comment

0 Comments