(रितेश शुक्ल) कोविड-19 संक्रमण ने साफ कर दिया है कि वह न सिर्फ शरीर से बीमार बनाता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। इस दिमागी कोरोना से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब कला और कलाकारों की मदद लेने की शुरुआत की है। संगठन की योजना कलाकृतियों की नीलामी और उससे होने वाली आय का इस्तेमाल कलाकारों को जुटाने और उनके जरिए दुनिया के उन हिस्सों में काम करने की है, जो महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
डब्ल्यूएचओ के आर्ट एंड हेल्थ विंग के प्रमुख क्रिस्टोफर बेली इस पहल की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम इस प्रोग्राम में पेंटर, डांसर, थियेटर आर्टिस्ट जैसे कलाकार शामिल कर रहे हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर जागरूक करेंगे। उन्होंने बताया कि इस पहल में डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की सबसे पुरानी नीलामी संस्था क्रिस्टीज साथ हैं।
यूएन के ‘द फ्यूचर इज अनरिटन’ इनीशिएटिव और डब्ल्यूएचओ के ‘सॉलिडिटरी सीरीज’ को मदद करने के लिए नवंबर 2020 से क्रिस्टीज के ऑर्ट ऑक्शन शुरू किए जाएंगे। लंदन में होने वाले पहली नीलामी ‘मिडिल ईस्ट कंटेंप्ररी आर्ट सेल’ नाम से होगी। सबसे पहले अहमद मतेर की पेंटिंग ‘मैग्नीटिज्म’ नीलाम होगी, जिसकी शुरुआती कीमत लगभग 1.15 करोड़ रुपए है।
बेली ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस गेब्रायसिस ने पदभार संभालने के बाद पूछा था कि हम नया क्या करना चाहते हैं, तो मेरा सुझाव था कि हम ऐसी व्यवस्था बनाएं जिसमें विभिन्न कलाओं का इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए किया जाए।
डॉ टेड्रोस ने यह आइडिया ब्रीफ करने के लिए 15 मिनट दिए। चर्चा के बाद उन्होंने तुरंत यह प्रोग्राम शुरू करने के लिए अनुमति दे दी। बेली बताते हैं- ‘संक्रमण ने साफ कर दिया है कि आज न सिर्फ कलाकारों को समाज की जरूरत है बल्कि समाज को भी कलाकारों की जरूरत है।’
भास्कर का ‘मास्क नहीं, तो फोटो नहीं...’ कैंपेन मजेदार है
भास्कर के ‘मास्क नहीं तो फोटो नहीं’ कैंपेन पर बेली ने कहा कि यह मजेदार आइडिया है। और ऐसेे आइडिया की खासियत होती है कि आप उसे शेयर करना चाहते हैं। मैं भी डब्ल्यूएचओ में अपने साथियों और दोस्तों से यह कैंपेन शेयर करूंगा।
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