दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ आ रहा है। वह भी अमेरिका में नहीं बल्कि चीन में और कंपनी भी वहीं की है। जैक मा की कंपनी अलीबाबा का एफिलिएट है एंट ग्रुप और यही 35 अरब डॉलर यानी 2.56 लाख करोड़ रुपए का आईपीओ ला रहा है। यदि आपको लग रहा है कि इस तरह के आईपीओ तो आते रहते हैं तो जान लीजिए कि पिछले पांच साल में जितने आईपीओ भारत में आए हैं, उन सभी को मिला दें तो भी यह अकेला उन पर भारी पड़ने वाला है।
एंट ग्रुप का आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर हॉन्गकॉन्ग और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज में आ रहा है और इसे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है। बार्कलेज, आईसीबीसी इंटरनेशनल और बैंक ऑफ चाइना इंटरनेशनल इसके बुक-रनर्स हैं। हॉन्गकॉन्ग में सीआईसीसी, सिटी ग्रुप, जेपी मॉर्गन और मॉर्गन स्टेनली इसे स्पॉन्सर कर रहे हैं। इसी तरह, शंघाई में सीआईसीसी और चाइना सिक्योरिटीज इसे स्पॉन्सर कर रहे हैं।
क्या है यह आईपीओ और इसमें क्या खास है?
- सबसे पहले तो समझ लीजिए कि आईपीओ क्या होता है? जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स को जनता के लिए जारी करती है तो उसे आईपीओ, इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (सार्वजनिक प्रस्ताव) कहते हैं। इसके बाद लिमिटेड कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होती हैं।
- चीनी अरबपति जैक मा की अलीबाबा की एफिलिएट एंट ग्रुप दुनिया की सबसे वैल्युएबल फिनटेक कंपनी है और यह अपनी वैल्युएशन 250 अरब डॉलर तक ले जाना चाहती है। यह बताना जरूरी है कि भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इसी साल जून में 150 अरब डॉलर के मार्केट कैपिटल तक पहुंची है और यह ऐसा करने वाली पहली और इकलौती भारतीय कंपनी है।
- एंट ग्रुप को डुअल लिस्टिंग से 35 अरब डॉलर जुटाने की उम्मीद है। यह लिस्टिंग हॉन्गकॉन्ग और शंघाई में आधी-आधी होगी। सऊदी अरामको ने 2019 में 29.4 अरब डॉलर जुटाए थे और अब तक उसका आईपीओ ही दुनिया का सबसे बड़ा माना जाता है। चीन और अमेरिका में बढ़ते तनाव को देखते हुए एंट ग्रुप का आईपीओ न्यूयॉर्क में लिस्ट नहीं होगा। अमेरिका तो एंट ग्रुप को ट्रेड ब्लैकलिस्ट में डालने की तैयारी कर रहा है। यह बात अलग है कि 2014 में अलीबाबा ग्रुप ने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक बेचकर 25 अरब डॉलर जुटाए थे और वह उस समय रिकॉर्ड-ब्रेकिंग आईपीओ था।
एंट ग्रुप क्या है और इसका जैक मा से क्या लेना-देना है?
- दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा को इंग्लिश टीचर जैक मा ने 1999 में शुरू किया था। कई नाकामियों के बाद जैक मा ने जब अलीबाबा शुरू की तो खुद की ही नहीं बल्कि देश के लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। आज जैक मा दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल हैं।
- अलीबाबा का पेमेंट्स प्लेटफॉर्म ही था अलीपे, जो 2011 में शुरू हुआ। 2014 में एंट फाइनेंशियल बना। अलीबाबा की इसमें 50.5% हिस्सेदारी है और वह भी हैंगझाउ जुन्हान और हैंगझाउ जुनाओ के जरिए। अलीपे के 711 मिलियन यूजर मंथली एक्टिव हैं और 80 मिलियन बिजनेस हैं।
- इसका मोबाइल वॉलेट अलीपे बहुत ही लोकप्रिय है और एक अरब से ज्यादा यूजर हैं और चीन के डिजिटल पेमेंट मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 55% है। यह एक सुपर ऐप है। यूटिलिटी बिल के भुगतान से टैक्सी बुक करने तक, मूवी टिकट खरीदने से, कर्जा लेने, बीमा खरीदने, संपत्तियों की खरीद-फरोख्त, कॉफी का भुगतान, एक-दूसरे को पैसे भेजने तक हर काम में अलीपे इस्तेमाल होता है।
- यह एक मल्टी-साइडेड मार्केट है। कंज्यूमर, बिजनेस और दो हजार पार्टनर फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं और मिलकर पावरफुल नेटवर्क का इफेक्ट देते हैं। अलीपे के 90 प्रतिशत से ज्यादा यूजर ऐप का इस्तेमाल पेमेंट्स के अलावा अन्य एक्टिविटी के लिए भी करते हैं। हमारे पेटीएम जैसा ही तो है, जो पेमेंट्स के साथ-साथ कई सर्विसेस दे रहा है।
एंट ग्रुप के नंबर क्या कहते हैं?
- कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा रही थी तब 2020 की पहली छमाही में इसने 10.5 अरब डॉलर का रेवेन्यू कमाया और 3.2 अरब डॉलर का मुनाफा भी। 2019 में अलीपे ने छोटे कारोबारियों और आम लोगों के अकाउंट्स में 290 अरब डॉलर क्रेडिट किए और कुल 16 लाख करोड़ डॉलर के लेन-देन किए। यह 2018 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है।
- 2015 से कंपनी ने तीन इक्विटी फंडिंग राउंड्स में 20 अरब डॉलर जुटाए हैं। 2018 में 14 अरब डॉलर जुटाए, जब कंपनी का वैल्युएशन 150 अरब डॉलर किया गया था। इसके इन्वेस्टर्स में चाइना इन्वेस्टमेंट कॉर्प, टेमासेक होल्डिंग्स, सिल्वर लेक, ब्लैकरॉक, जनरल एटलांटिक और वारबर्ग पिनकस शामिल हैं।
इन्वेस्टर्स को आईपीओ में इंटरेस्ट क्यों है?
- चीनी इन्वेस्टर आने वाले आईपीओ को टारगेट करने के लिए नए लॉन्च म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहे हैं। पांच फंड्स बने हैं जो दो हफ्ते के सबस्क्रिप्शन पीरियड में 8.8 अरब डॉलर के फंड को टारगेट कर रहे हैं। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन और चीन के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए अमेरिकी इन्वेस्टर्स को इस आईपीओ में पार्टिसिपेट करने से रोका गया है।
- चीन एक अहम फॉरेन पॉलिसी प्लेटफॉर्म है और डोनाल्ड ट्रम्प आने वाले यूएस इलेक्शन में अपने डेमोक्रेटिक प्रतिस्पर्धी जो बाइडेन से काफी पिछड़ रहे हैं। हालांकि, चीन के सिक्योरिटी रेगुलेटर भी स्टॉक लिस्टिंग में कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की जांच कर रहे हैं, जिस वजह से आईपीओ में देर हो रही है।
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