आपने कभी सुना है कि किसी की मौत के बाद उसकी पसंद की चीज की मूर्ति उसी व्यक्ति के मठ यानी जहां उसे दफनाया गया था, उसके ऊपर बनाई गई हो। ऐसा आदिवासी समाज में होता है। यहां जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो अंतिम संस्कार के बाद उस व्यक्ति के मठ पर उसकी पसंद की वस्तु की मूर्ति बनाई जाती है। धमतरी के बेलरगांव में जब आप पहुंचेंगे तो मठों पर बैलगाड़ी, स्कूटर, जीप जैसी कई आकृतियां दिखेंगी।
आदिवासी अपनी बरसों पुरानी परंपरा और रीति रिवाज निभा रहे हैं। धमतरी के बेलरगांव में गोंड समाज में यह परंपरा है। यहां मृत व्यक्ति के मठ पर उसकी पसंदीदा वस्तुओं की आकृति बनाई जाती है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
ऐसा करने का कोई निश्चित कारण नहीं बता पाता लेकिन चूंकि यह पुरखे करते आ रहे हैं, इसलिए पीढ़ियां इसे निभा रही हैं। गोंड समाज में माता या पिता अथवा परिवार के शादीशुदा सदस्य की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार के बाद मठ बनाया जाता है।
चबूतरानुमा मठ के ऊपर मृतक के पसंद की वस्तुओं की आकृति बनाई जाती है। आमतौर पर पुरुष मठ में बैलगाडी, घोड़ा, हाथी, भाला पकड़े दरबान, जीप, कार, मोटरसाइकिल और स्कूटर की आकृति बनाई जाती है। वही महिला मठ में सिर्फ कलश ही बनाने का रिवाज है। अब ये परंपरा दीगर समाजों मे भी शुरू होने लगी है।
शैलेन्द्र कुमार, पीलाराम कोर्राम, महेश नेताम इत्यादि यहीं के रहने वाले हैं। वे बताते हैं कि यहां मरने वाले को लोगों को जिस नाम से जाना जाता है, या फिर वे मशहूर रहते हैं, उसी तरह का मठ उस व्यक्ति का बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि उनका एक परिजन इलाके में बहादुर नाम से मशहूर था। इसलिये उनके मरने के बाद उनके मठ पर उनकी गदा पकड़ी हुई मूर्ति बनाई गई है।
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