दिवाली आ गई है और हर साल की तरह बहस शुरू हो गई कि पटाखे फोड़ने से एयर पॉल्यूशन बढ़ता है। कुछ लोग इसके खिलाफ भी खड़े हैं और इसे धर्म व परंपरा से जोड़कर पटाखे फोड़ने की जरूरत बता रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एयर पॉल्यूशन बढ़ता देख दिल्ली-एनसीआर में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश के जिन-जिन राज्यों में एयर क्वालिटी खराब है, वहां भी पटाखे नहीं बेचे जाएंगे।
सवाल उठते हैं कि क्या पॉल्यूशन के लिए दिवाली के पटाखे ही जिम्मेदार हैं? पटाखे जलाने पर क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन? आइए समझते हैं...
कैसे पता चलता है कि हवा में पॉल्यूशन बढ़ गया है?
हवा कितनी खराब या अच्छी है, इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापा जाता है। AQI जब 0 से 50 के बीच होता है, तो उसे 'अच्छा' माना जाता है। जब 51 से 100 के बीच होता है, तो 'संतोषजनक', जब 101 से 200 के बीच होता है, तो 'मॉडरेट', 201 से 300 के बीच होता है, तो 'खराब' और 301 से 400 के बीच होता है तो 'बहुत खराब' माना जाता है। जबकि, 401 से 500 के बीच होने पर 'गंभीर' माना जाता है। गुरुवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 326 रिकॉर्ड किया गया। यह पहले के मुकाबले सुधरा है, लेकिन अभी भी यहां हवा 'बहुत खराब' है।
कैसे पता चलता है कि हवा खराब हो रही है?
यह समझना रॉकेट साइंस नहीं है। हवा में छोटे-छोटे कण होते हैं। बालों से भी 100 गुना छोटे, जिन्हें PM 2.5 कहते हैं। PM यानी पार्टिकुलेट मैटर। जब यह छोटे-छोटे कण हवा में बढ़ जाते हैं तो हवा खराब होने लगती है। PM 2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रोन का कण। माइक्रोन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां या 1 मिलीमीटर का 1 हजारवां हिस्सा। हवा में जब इन छोटे कणों की संख्या बढ़ती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है। यह कण हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं। इससे अस्थमा और सांस में दिक्कत जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 के मुताबिक, 2019 में हमारे देश में 1.16 लाख से ज्यादा नवजात बच्चों की मौत का कारण खराब हवा ही थी। जबकि, इस साल 16.7 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
दिल्ली में हर साल दिवाली के समय ही क्यों हवा खराब होती है?
इसके दो बड़े कारण हैं। पहला जो प्राकृतिक है और दूसरा हम खुद। पहले बात कुदरती कारण की। सितंबर में मानसून का सीजन खत्म होने से हवा की दिशा बदल जाती है। अक्टूबर के आखिर तक तापमान कम होने लगता है, नमी बढ़ने लगती है और हवा की स्पीड कम हो जाती है। इससे हवा में यह महीन कण जमा हो जाते हैं, जो एयर क्वालिटी खराब करते हैं। दूसरा, हम खुद। दिल्ली में 1 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां हैं, जो मुंबई और कोलकाता से भी कहीं ज्यादा है।
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में हर रोज 1400 गाड़ियां बिकती हैं। इन गाड़ियों से धुआं निकलता है, जो हवा खराब करता है। इसके अलावा इस मौसम में ही पंजाब और हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं। पिछले साल पराली जलाने का जमकर विरोध हुआ था। ये सब हवा खराब करने का कारण बनते हैं।
अब बात, हवा खराब करने में पटाखे कितने जिम्मेदार?
जब दिल्ली में हवा खराब होने के इतने सारे कारण हैं, तो इसके लिए पटाखों को कितना जिम्मेदार माना जाए? फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक रिसर्च छापी थी। इसके लिए 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था। इस रिसर्च के मुताबिक, दिवाली के अगले दिन दिल्ली में हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ी। जबकि, दिवाली के दिन शाम 6 बजे से लेकर रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हो गई।
केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी मानता है कि पटाखों से 15 ऐसे तत्व निकलते हैं, जो इंसान के लिए खतरनाक और जहरीले होते हैं। पिछले साल दिवाली पर AQI लेवल 368 रिकॉर्ड किया गया था, जो 2018 के मुकाबले काफी बेहतर था। 2018 की दिवाली पर AQI 642 पर पहुंच गया था। 2017 में ये 367 और 2016 में 425 पर था।
क्या पटाखे जलाना बैन है? क्या है इस पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर गाइडलाइन जारी की थी। कोर्ट ने पटाखों पर बैन तो नहीं लगाया था, लेकिन कहा था कि सिर्फ ईको-फ्रेंडली पटाखे ही जलाए जा सकते हैं। अगर कोई ईको-फ्रेंडली पटाखों के अलावा कोई दूसरे पटाखे जलाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री नहीं होगी। केवल ग्रीन और सेफ पटाखे ही बेचे जाएंगे। पटाखे भी सिर्फ लाइसेंसधारी दुकानदार ही बेच सकते हैं।
- अगर किसी इलाके में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन होता है, तो इसका जिम्मेदार उस इलाके के थाना इंचार्ज को माना जाएगा।
- दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जला सकते हैं। क्रिसमस और न्यू ईयर के दिन रात 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे जलाने की छूट है।
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