नई दिल्ली.1980 में एड्स, 2002 में सार्स, 2012 में मर्स और अब कोविड-19 चारों एग्जॉटिक मीट से फैले। फिर भी कई देशों में ऐसे मीट मार्केट धड़ल्ले से चल रहे हैं। थाइलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, साउथ कोरिया और जापान में भी ऐसे मार्केट हैं। चीन में गुआंगडौंग वेट मार्केट वो जगह है, जहां अजगर, कछुए, गिरगिट, चूहे, चीते के बच्चे, चमगादड़, पैंगोलिन, लोमड़ी के बच्चे, जंगली बिल्ली, मगरमच्छ जैसे जानवरों का मीट बिकता है।
नवंबर 2002 में इसी बाजार से सार्स सीआईवी फैला था, जिसने 26 देशों के 8,000 लोगों को संक्रमित कर दिया। ये कोरोनावायरस का पहला आक्रमण था। इसके बाद चीन ने वेट मार्केट बंद तो किए, लेकिन कुछ ही दिनों बाद इसे फिर खोल दिया। 2012 में कोरोना का ही एक और रूप मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) सऊदी अरब में ऊंट या ऊंट के दूध से फैला। अब कोरोना की तीसरी किस्म कोविड-19 भी चीन के वेट मार्केट से फैली है। वेट मार्केट में जंतुओं को खुले में काटा जाता है। इनके खून, मल, पस, थूक पानी में मिलकर एक हो जाते हैं और यहीं से वायरस मनुष्य में प्रवेश करता है।
वेट मार्केट लॉकडाउन के परे हैं
इतना होने पर भी वेट मार्केट बंद नहीं किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये बाजार क्राइम सिंडिकेट चलाते हैं। सितंबर 2019 में जर्मनी के मीडिया हाउस डॉयचे वेले की रिपोर्ट में कहा गया कि हथियार, ड्रग्स, ह्यूमन ट्रैफिकिंग की तरह ही वाइल्ड लाइफ तस्करी भी बेहद फायदेमंद है।
चीन दुनिया में ऐसीवेट मार्केट का विस्तार करना चाहता है
लंदन की इन्वायरमेंटल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोनावायरस फैलने के बाद गेंडे के सींग की तस्करी में बढ़ोतरी हुई है। इसी महीने रॉयटर्स की एक खबर में बताया गया कि चीन बेल्ट एंड रोड माध्यम से चप्पे-चप्पे में जंगली जानवरों के व्यापार का विस्तार करना चाहता है। सार्स के बाद 54 जंगली जानवरों की फॉर्मिंग के लिए चीन ने लाइसेंस बांटना शुरू कर दिया है।
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from Dainik Bhaskar /national/news/markets-are-not-closing-even-after-the-threat-virus-markets-like-corona-are-running-in-10-countries-127047927.html
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