मुंबई का सबसे व्यस्त स्टेशन सीएसटी मुसाफिरों के इंतजार में, ताजमहल सैलानियों के लिए तरस रहा, दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस भी नहीं धड़क रहा

नई दिल्ली. कोरोनावायरस से पूरा देश घरों में कैद है। सड़कों पर सन्नाटा है। गलियां सूनी पड़ी हैं। सभी बड़े शहरों और मशहूर पर्यटन स्थलों पर जहां रोजाना हजारों-लाखों लोग भागते-दौड़ते नजर आते थे, आज वे सब ठहरे पड़े हैं। देश का सबसे बड़ा और भीड़ वाला रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुसाफिरों की राह देख रहा है। यहां खड़ी ट्रेनें थकीं-हारीं सी नजर आती हैं। मोहब्बतों का महल ताजमहल आज बिल्कुल तन्हा है। जिसके आंगन में हमेशा सारी दुनिया से आए उसके चाहने वालों का हुजूम होता था, आज उसे एक बार फिर सैलानियों के दिदार की दरकार है।

दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस भी धड़कना बंद कर चुका है। यहां बंद पड़ीं दुकानें मानों वेंटिलेटर पर हैं और वे इस उम्मीद में जिंदा हैं कि कुछ दिन में यह वायरस रूपी बादल छट जाएगा। उनके गलियारों में फिर की खरीदारों की धूप होगी। इस देशबंदी के बीच ऐसी ही 10मशहूर जगहों की अनदेखी तस्वीरें और उनकी अनकही कहानियां सिर्फ आपके लिए...


1- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस: इसके 19 प्लेटफॉर्म से रोजाना 1250 ट्रेनें गुजरती हैं, यहीं से 167 साल पहले पहली बार ट्रेन चली थी

तस्वीर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के बाहर की है।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के अंदर की तस्वीर।
दिन में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के बाहर का नजारा।

मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) भारत का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है। यह ऐतिहासिक धरोहर भी है। इसके 19 प्लेटफॉर्म से रोजाना 1250 लोकल और लंबी दूरी की ट्रेनें आती-जाती हैं। लेकिन आज स्टेशन के बाहर और अंदर पूरी तरह सन्नाटा है। खास बात है कि 16 अप्रैल को भारतीय रेलवे ने 167 साल का सफर पूरा कर लिया है। 1853 में इसी दिन देश में पहली पैसेंजर ट्रेन चली थी। लेकिन आज कोरोना के कारण पूरे देश में ट्रेन सेवा बंद है। वो भी 40 दिनोंतक। रेलवे के इतिहास में यह पहली बार है, जब एकसाथ सभी ट्रेनों पर ब्रेक लगा है।

  • भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई के बोरी बंदर स्टेशन (छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) से ठाणे के बीच चलाई गई थी। इसमें करीब 400 लोगों ने सफर किया था। पहली रेल यात्रा की दूरी करीब 34 किमी थी।
  • भारत में रोजाना 20 हजार से ज्यादा यात्री ट्रेनें चलती हैं। इसमें लंबी दूरी की 3500 से ज्यादा ट्रेनें शामिल हैं। भारतीय रेलवे का नेटवर्क एशिया का दूसरा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसमें रोज करीब 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं।

2- गेटवे ऑफ इंडिया: यहां सिर्फ परिंदे ही उड़ रहे हैं और दूर तलक बस समुद्र की लहरें ही सुनाई दे रहीं


मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज और रानी मैरी की भारत यात्रा की याद में हुआ था। लॉकडाउन के चलते गेट-वे ऑफ इंडिया और इसके आसपास का इलाका अभी पूरी तरह खाली है। इस वक्त यहां पर सिर्फ परिंदे ही नजर आ रहे हैं। यहां उठने वाली समुद्र की लहरों की आवाज काफी दूर तक सुनाई दे रही है। यहां आम दिनों में करीब 50 हजार पर्यटक आते थे।

गेटवे ऑफ इंडिया


3- कनॉट प्लेस: दुनिया में 9वीं सबसे महंगी जगह पर अभी कोई नहीं आ-जा रहा है, दुकानों और दफ्तरोंके दरवाजे बंदहैं

दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस।

तस्वीर दिल्ली स्थितकनॉट प्लेस कीहै। दिल्ली का कनॉट प्लेस (सीपी) दुनिया में 9वीं सबसे महंगी जगह है। सीबीआरई की रिपोर्ट के मुताबिक यहां केऑफिस स्पेस का सालाना किराया करीब 9872 रुपए (144 डॉलर) प्रति वर्ग फीट है। सीबीआरई प्रॉपर्टी कंसल्टेंट है। कनॉट प्लेस में सिर्फ 200 से ज्यादा रेस्त्रां हैं। यदि देश का दिल्ली है, तो दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस है। कनॉट प्लेस दिल्ली का सबसे बड़ा व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र भीहै। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था।


4- इंडिया गेट: शहीदों का स्मारक अकेला खड़ाहै, बस उनकी याद में अमर जवान ज्योति जल रही है

इंडिया गेट।
इंडिया गेट।
दूर से अभी कुछ इस तरह दिख रहा है इंडिया गेट।
रात में इंडिया गेट का नजारा।

बात जब भारत के ऐतिहासिक स्थलों और इमारतों की होती है तो उसमें इंडिया गेट का नाम भी बड़े अदब के साथ आता है। युद्ध स्मारक के रूप में प्रसिद्ध इंडिया गेट देश की राजधानी दिल्ली में राजपथ के नजदीक स्थित है। यह करीब 70 हजार ऐसे भारतीय सैनिकों का स्मारक है, जो पहले विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। इसी इंडिया गेट के मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति है, जो हमेशा जलती रहती है। यह ज्योति 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद दिलाती है। इस गेट का निर्माण 1931 हुआ था। आम दिनों में यहां 20 से 25 हजार पर्यटक आतेहैं। लेकिन फिलहालकोरोनावायरस के मद्देनजर इंडिया गेट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर रखी है। इसपर पोस्टर लगे हैं कि यहां आना मना है।


5- काशी की गंगा आरती: कोरोना के बावजूद आरती तो रोज हो रही, बस इसमें श्रद्धालुओं के आने पर रोक है

काशी का दशाश्वमेध घाट।

काशी की गंगा आरती अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। पर पहली बार ऐसा हो रहा है, जब दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती के आकार को छोटा किया गया है। आरती अभी भी एक-दो पुजारियों द्वारा हीहोती है, लेकिन इस दौरान श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी है। गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि ने यह फैसला कोरोना को देखते हुए लिया है। आम दिनों में गंगा आरती देखने के लिए करीब चार से पांच हजार श्रद्धालु मौजूद होते थे। लेकिन अभी 15से 20 लोग ही नजर आते हैं, वो भी दूर-दूर खड़े होकर देखते हैं।


6- ताजमहल: 49 साल बाद ताजमहल बंद हुआ है, हर साल यहां 90 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं

लॉकडाउन में ताजमहल।

कोरोना के खौफ से ताजमहल भी बंद हो गया है। ऐसा करीब 49 साल बाद हुआ है, जब ताजमहल बंद हुआ है। इसके पहले ताजमहल को बंद हुए करीब आधी सदी गुजर गई। 1971 में भारत-पाक जंग के वक्त इसे सुरक्षा की वजहों से चंद दिनों के लिएबंद किया गया था। कोरोना शुरू होने के बाद जिस दिन यह बंद हुआ, उस दिन ताज के दीदार को आए तमाम सैलानियों को मायूस होना पड़ा था। कुछ विदेशी सैलानी तो ताजमहल के बाहर रोते हुए भी दिखाई दिए थे। आगरा की आधी आबादी ताजमहल से ही रोजी-रोटी पाती है। यहां हर साल करीब 90 लाख से ज्यादा सैलानी आते हैं। टूरिज्म और चमड़ा उद्योग से आगरा को सालाना करीब 6 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होती है।


7- डल झील: शिकारे सुबह से शाम तकझील में किनारे पर बंधे रहते हैं, हाउसबोट भी खाली सुस्ता रहीं हैं

डल झील।
डल झील के किनारे दवा की झिड़काव करता जवान।

कोरोना वायरस का असर कश्मीर के सभी पर्यटन स्थलों पर भी पड़ा है। खासकर डल झील में पर्यटकों की आमद न के बराबर रह गई है। डल झील में शिकारे सुबह से शाम तक किनारे पर बंधे रहते हैं। हाउसबोट भी खाली पड़ी सुस्ता रही हैं। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के अनुसार कश्मीर में मई के महीने तक की बुकिंग कैंसिल हो गई है। ज्यादातर होटल भी खाली पड़े हैं।


8- ट्यूलिप गार्डन: एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में 13 लाख फूल खिले, लेकिन इन्हें देखने कोई नहीं आएगा

ट्यूलिप गार्डन।
ट्यूलिप गार्डन।

एशिया के सबसे बड़े श्रीनगर के इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन में फूलों का मौसम आ गया है। जबरवान पहाड़ियों के मुहाने पर 30 एकड़ में बने इस खूबसूरत गार्डन में इस बार 55 वैरायटी के 13 लाख ट्यूलिप खिले हैं। कोरोना संकट के चलते इस बार गार्डन में फूल देखने कोई नहीं आएगा। लिहाजा पार्क सूना पड़ा है। पिछले साल करीब ढाई लाख लोग यहां आए थे, जिसमें से एक लाख बाहरी पर्यटक थे। हॉलैंड से हर साल फूल मंगवाए जाते हैं। यह पार्क 2007 में शुरू हुआ था। 13 साल में पहली बार यहां एक भी पर्यटक नहीं आएगा। हर साल तीन से चार हफ्ते के लिए यहां फूल खिलते हैं, जिसके लिए 100 माली पूरे साल काम करते हैं।


9- स्वर्ण मंदिर: आम दिनों में यहां एक हफ्ते में एक से डेढ़ लाख लोग आते हैं, लेकिन इस बार तो वैशाखी भी सूनी गुजर गई

स्वर्ण मंदिर।

लॉकडाउन की वजह से अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में पूरी तरह से सन्नाटा है। हर साल वैशाखी पर गुरुद्वारा साहिब में करीब 60 हजार से 70 हजार श्रद्धालु आते थे, लेकिन इस बार बहुत ही कम लोग पहुंचे। इस पवित्र स्थल पर आम दिनों में भी हफ्ते में एक से डेढ़ लाख लोग यहां आते हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने लोगों से घरों में ही प्रार्थना करने और यू-ट्यूब चैनल के जरिए कीर्तन सुनने को कहा है। आम दिनों में यहां गुरु के लंगर में श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने की पूरी व्यवस्था होती है। लंगर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुला रहता है। अनुमान है कि करीब 40 हजार लोग रोज यहां लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं।


10- चारमीनार: 115 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से पूरा इलाका सील है, आसपास की 15 हजार दुकानें बंद पड़ीहैं

हैदराबाद का चारमीनार।
रात में चारमीनार।

हैदराबाद में दुनिया की मशहूर चारमीनार के आसपास का इलाका पूरी तरह सील है। इस इलाके में अब तक 115 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिले हैंं।पिछले चार दिनों में तो 62 मरीज आए हैं। इसकी वजह से इस इलाके कोकोरोना कंटेनमेंट घोषित किया गया है। चारमीनार को मार्च के मध्य में ही लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद से इस इलाके में स्थित करीब 15 हजार दुकानें बंद पड़ी हैं। चारमीनार का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 में किया था। इसमें एक स्मारक और एक मस्जिद भीहै।



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मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया। यहां परिंदे ही इन दिनों सैलानी हैं।


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