अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को; इस दिन बनेंगे 6 राजयोग, महादीर्घायु और दान योग होने से खास रहेगा पर्व

रविवार 26 अप्रैल को वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया है। इसे अक्षय तृतीया पर्व के रूप में मनाया जाता है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रह-नक्षत्र विशेष शुभ स्थिति में रहेंगे। जिससे 6 राजयोग बनेंगे। इनके शुभ प्रभाव से इस पर्व पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का अक्षय फल मिलेगा। वहीं इस दिन मंगल, बृहस्पति एवं शनि से महादीर्घायु और दान योग भी बनेंगे। इन शुभ योगों में किए गए दान से रोगनाश और लंबी उम्र मिलती है। इस साल भी अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनना शुभ रहेगा। ये पर्व अबूझ मुहूर्त के रूप में भी बहुत खास है। क्योंकि इस दिन किए गए शुभ काम में सफलता मिल जाती है। तिथि और नक्षत्र के शुभ संयोग के कारण ये पर्व स्नान, दान और अन्य तरह के मांगलिक कामों को करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

  • पं. मिश्रा के अनुसार इस साल अक्षय तृतीया पर महामारी के कारण मांगलिक आयोजन और सामूहिक कार्यक्रमों से बचते हुए घर में ही पूजा-पाठ करनी चाहिए। इसके साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों को अगले शुभ मुहूर्त तक टाल देना चाहिए। इस पर्व पर श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लेकर दान दी जाने वाली सामग्रियों को निकालकर अलग रख लें और स्थिति सामान्य हो जाने पर उन चीजों को दान कर देना चाहिए। पं. मिश्रा ने बताया कि बृहस्पति संहिता ग्रंथ में ये उल्लेख है कि महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और आपातकाल के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए या आने वाले शुभ मुहूर्त पर टाल देना चाहिए।

बृहस्पति संहिता का श्लोक
दिग्दाहे वा महादारुपतने चाम्बुवर्षणे ।
उल्कापाते महावाते महाशनिनिपातने ।।
अनभ्राशनिपाते च भूकम्पे परिवेषयोः ।
ग्रामोत्पाते शिवाशब्दे दुर्निमित्ते नशोभने ।


6 राजयोग और 2 अन्य शुभ योग
अक्षय तृतीया पर्व पर सूर्योदय के समय शश, रूचक, अमला, पर्वत , शंख और नीचभंग राजयोग बन रहे हैं। इनके साथ ही महादीर्घायु और दान योग भी बन रहे हैं। ये सभी योग सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति और शनि के कारण बन रहे हैं। इन योगों के प्रभाव से स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए दिन और भी खास हो जाएगा। सितारों की विशेष स्थिति में किए गए कामों का पूरा फल भी मिलता है।

अक्षय तृतीया कब
इस साल वैशाख माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शनिवार 25 अप्रैल को दोपहर करीब 12:05 पर शुरू होगी और अगले दिन रविवार को दोपहर 1:25 तक रहेगी। लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग 26 अप्रैल को होने से धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाना चाहिए।

अक्षय तृतीया से जुड़ी खास बातें

  1. अक्षय तृतीया पर्व पर तीर्थों और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है।
  2. इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
  3. भगवान को चने की दाल, मिश्री, खीरा और सत्तू का भोग लगाने की परंपरा है। ब्राह्मणों को जौ दान करना चाहिए। इस दिन पानी से भरे मटके, गेहूं, सत्तू और जौ का दान करने का विशेष महत्व है ।
  4. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य से मिलने वाले फल अक्षय होता है यानी ये पुण्य हमेशा साथ रहता है।
  5. इस तिथि पर सोना-चांदी खरीदना शुभ माना गया है। देवताओं की प्रिय और पवित्र धातु होने से इस दिन सोने की खरीदारी का महत्व ज्यादा है।
  6. सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी तिथि से हुई है, ऐसी मान्यता प्रचलित है। भगवान परशुराम का अवतार भी इसी दिन हुआ है। बद्रीनाथ के पट भी अक्षय तृतीया पर ही खुलते हैं।
  7. अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्र अपनी-अपनी उच्च राशि में रहते हैं, इस वजह से इस तिथि पर बिना मुहूर्त देखे विवाह किए जा सकते हैं।


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