आज कहानी रायपुर के स्पेशल डीजीपी आरके विज और यूपी के मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर की। विज दो बार कोरोना की चपेट में आए और दूसरी बार में ज्यादा इन्फेक्टेड हुए। वहीं, कौशल किशोर को कोरोना ठीक होने के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी लेकिन तीन-चार दिन बाद ही उनकी तबीयत दोबारा खराब हो गई और फिर कोरोना ने फेफड़ों तक को इन्फेक्टेड कर दिया। हालांकि अब दोनों ठीक हैं, उन्होंने हमसे बात करते हुए अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है।
पहली बार में सिंपटम्स नहीं थे, दूसरी बार में सात दिनों तक खाना नहीं खा पाया
डीजीपी विज (आईपीएस) कहते हैं कि पहली बार मुझे जुलाई के आखिर में कोरोना हुआ था। उस टाइम कोई सिंपटम्स नहीं आए थे। घर में एक लड़का माता-पिता की केयर के लिए रखा था, उसकी तबीयत खराब हुई तो मैंने उसे जांच के लिए एम्स भेजा।
एम्स ने ये कहते हुए जांच करने से मना कर दिया कि कोई सिंपटम्स नहीं दिख रहे। मैंने दूसरी जगह जांच करवाई, जहां वो पॉजिटिव आया। इसके बाद हमारे पूरे परिवार ने कोरोना की जांच करवाई। मैं, पत्नी, बच्ची के साथ ही एक, दो वर्कर भी पॉजिटिव आए।
हमने प्रॉपर ट्रीटमेंट लिया। 14 दिनों तक आइसोलेशन में रहे। ठीक होने के बाद ऑफिस ज्वॉइन कर लिया था। मास्क लगाकर और पूरे प्रिकॉशन के साथ ही काम पर जा रहा था, लेकिन 2 अक्टूबर को फिर तेज बुखार आया। उस दिन बुखार की दवाई खा ली लेकिन ठीक नहीं हुआ। 4 अक्टूबर को टेस्ट हुआ तो दोबारा कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
रिपोर्ट देखकर सभी टेंशन में आ गए थे कि फिर कैसे कोरोना हो गया। उस समय हमें पता नहीं था कि इस बार किस लेवल का है। बुखार उतर नहीं रहा था, इसलिए ज्यादा घबराहट थी। 7 अक्टूबर को हॉस्पिटल में एडमिट हुआ। एक हफ्ते तक वहीं इलाज चलते रहा। दवाई से बॉडी में स्टेरॉयड जा रहा था, जिससे शुगर बढ़ रही थी इसलिए शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेना पड़ा।
मैंने डॉक्टर से पूछा कि मुझे दोबारा कोरोना क्यों हुआ? इसका कोई सही जवाब तो नहीं दे पाया लेकिन उन्होंने कहा कि ये हो सकता है कि पहली बार जब आपको कोरोना हुआ था, उसके बाद आपकी बॉडी में पर्याप्त एंटीबॉडी डेवलप नहीं हो सके। इसी कारण आप दोबारा फिर इसकी चपेट में आ गए।
पहली बार में कोई सिंपटम्स नहीं थे लेकिन दूसरी बार में तेज बुखार आया। मुंह से टेस्ट चला गया था। एक हफ्ते तक तो लिक्विड डाइट ही ली क्योंकि कुछ खाने का मन ही नहीं कर रहा था। 6 से 7 किलो वजन कम हो गया। कमजोरी बहुत आ गई। 23 अक्टूबर को फिर टेस्ट हुआ, रिपोर्ट नेगेटिव आई। इस बार दवाई पूरे एक महीने तक चलीं। अभी तक होम क्वारैंटाइन ही हूं। बीते एक महीने से किसी से मिलना-जुलना नहीं हुआ। दूसरी बार में कोरोना ने ज्यादा परेशान किया।
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दूसरी बार बीमार हुआ तो बुखार चढ़ता-उतरता, बदन में बहुत दर्द था
सांसद कौशल किशोर कहते हैं, अगस्त में मुझे बुखार आया और बीपी लो हो गया था। बुखार नॉर्मल हो जाने के बाद भी बीपी बढ़ नहीं रहा था। पचास पर आकर स्थिर हो गया था। मैंने अपने डॉक्टर मित्र को बुलाकर दिखाया तो उन्होंने नमक-रोटी खाने की सलाह दी। ऐसा करने पर भी बीपी नहीं बढ़ा तो उन्होंने मुझे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।
एडमिट होने पर बीपी कम होकर 20 पर चला गया और मैं बेहोश हो गया। फिर मुझे अपोलो हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। वहां सिचुएशन कंट्रोल में आई। उन्होंने कोरोना टेस्ट भी किया, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जबकि मुझे कोरोना से जुड़े कोई खास सिंपटम्स नहीं थे। न सर्दी-खांसी थी, न ही सांस लेने में दिक्कत थी। बुखार भी उतर गया था।
आठ दिन हॉस्पिटल में एडमिट रहा, फिर छुट्टी हो गई। दो-तीन दिन घर में रहने के बाद फिर बुखार आने लगा। शरीर में दर्द बहुत हो रहा था। बुखार चढ़ता था और उतरता था। मैं फिर मेदांता में एडमिट हो गया। फिर पता चला कि कोरोना ने फेफड़ों को संक्रमित कर दिया है।
एक हफ्ते तक इलाज चलते रहा। थोड़ा आराम मिल गया था तो हॉस्पिटल ने छुट्टी करने की बात कही। मैंने कहा कि जब तक रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ जाती, मैं घर नहीं जाऊंगा। एक हफ्ते और हॉस्पिटल में रहा और 16वें दिन मेरी रिपोर्ट निगेटिव आई।
दोबारा जब कोरोना शरीर में फैला था तो उससे बहुत कमजोरी आ गई थी। मैं सीढ़ियां तक चढ़-उतर नहीं सकता था। सीएम हर रोज मेरी हालत की रिपोर्ट ले रहे थे। मैं सांस अंदर बाहर करने की एक्सरसाइज कर रहा था। इससे मेरी सांस नहीं फूली और ऑक्सीजन लेवल कम नहीं हुआ। अभी हालत ठीक है लेकिन कमजोरी बनी हुई है।
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